


भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर द्विपक्षीय चर्चा चल रही है। यह जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने के प्रस्ताव पर कोई अपडेट है या नहीं, इस सवाल पर नायडू ने कहा कि द्विपक्षीय वार्ता हो रही है, एक बार यह पूरी हो जाए, तो हम अपडेट दे सकते हैं।
भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें कब शुरू हुई थीं?
कोरोना वायरस महामारी के कारण निलंबित होने से पहले 2020 की शुरुआत तक दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें चालू थीं। भारतीय और चीनी दोनों एयरलाइनों की सीधी सेवाएं थीं। इस वर्ष 27 जनवरी को भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की थी।
देश को 15-20 साल में 30,000 पायलट की जरूरत
नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने कहा कि भारत को अगले 15-20 वर्षों में 30,000 पायलटों की आवश्यकता होगी। घरेलू एयरलाइनों ने अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 1,700 से अधिक विमानों का आर्डर दिया है। मंत्री नायडू 200 प्रशिक्षक विमानों के आर्डर के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। नायडू ने कहा कि वर्तमान में 800 से अधिक विमान हैं और 6,000-7,000 पायलट कार्यरत हैं। उन्होंने भारत को प्रशिक्षण केंद्र बनाने की भी वकालत की। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागरिक विमानन बाजारों में से एक है।
अधिक हवाईअड्डे स्थापित करने के लिए 'टेम्पलेट मॉडल' पर काम जारी
हवाई यातायात में बढ़ोतरी और विमान बेड़े के विस्तार के साथ ही सरकार अधिक हवाई अड्डे स्थापित करने के लिए एक 'टेम्पलेट मॉडल' लागू करने की योजना बना रही है। इसके तहत विशेष रूप से मालवहन और उड़ान प्रशिक्षण संगठनों के लिए हवाई अड्डे भी तैयार किए जाएंगे। देश में इस समय 159 हवाईअड्डे परिचालन में हैं। नायडू ने कहा कि मंत्रालय एक टेम्पलेट माडल बनाने पर काम कर रहा है, जहां हमारे पास विभिन्न प्रकार के हवाई अड्डे हो सकते है।